डोर

अपने और मेरे रिश्ते को कोई नाम तो दो;

हल्की-फुल्की, कोमल, प्यारी, झीनी-झीनी;
हम दोनो के बीच छोटी सी एक डोर है;
टूट ना जाये छूट ना जाये पल पल भय है;
इस और इस्पाती है पर ढीली सी उस ओर है;

अपनी ओर से मेरी डोर को थाम तो दो;

अपने और मेरे रिश्ते को कोई नाम तो दो;

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